माता का आदर्श: श्री राम के व्रत का आरंभ
हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व बताया गया है। इसे साल भर में चार बार मनाया जाता है और इसकी अंदर दो गुप्त और दो सिद्ध नवरात्रि होती है। नवरात्रि के दौरान बहुत सारे लोग माता की पूजा-पाठ और हवन आदि करते हैं ताकि माता उनकी प्रसन्नता करें। लेकिन क्या आपको पता है कि नवरात्रि का आरंभ कहां से हुआ था? और किसने सबसे पहले माता रानी का व्रत रखा था? वेल्मीकि रामायण में भी इसका उल्लेख है।
नवरात्रि की प्रारंभिक कथा
वाल्मीकि रामायण के अनुसार, भगवान रामचंद्र जी ने दहन के पहले नवरात्रि के व्रत का आयोजन किया था जिसके कारण माता रानी ने उन्हें प्रसन्न किया। भगवान रामचंद्र जी उस समय ऋषिमुख पर्वत पर लंका के शिखर पर चढ़ाई कर रहे थे। वहां उन्हें ब्रह्मा जी ने चंडी देवी की आराधना करने की सलाह दी। इसके बाद भगवान रामचंद्र जी ने नौ दिन तक चंडी का पाठ किया और चंडी देवी को 108 नील कमल अर्पित किए। वाल्मीकि रामायण में लिखा है कि एक कमल को रावण ने नष्ट कर दिया और जब भगवान रामचंद्र जी 108वें कमल को चढ़ा रहे थे, तब वह दिखाई नहीं दिया। तब भगवान ने तीर से अपने नेत्र पर चढ़ाने का विचार किया। इसके बाद माता भगवती ने उन्हें जीत का वरदान दिया और इसी से भगवान रामचंद्र जी ने रावण पर और लंका पर विजय प्राप्त की। इसी कारण से नवरात्रि व्रत और नवरात्रि का पूजन का धार्मिक परंपरा प्रारंभ हुई।
नवरात्रि में मां दुर्गा की आराधना
नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ दिनों का विशेष महत्व है। इसके दौरान देवी की नौ अलग-अलग रूपों की पूजा का विधान बताया गया है।
दया स्वरूपिणी
- पहले दिन, देवी को दया स्वरूपिणी के रूप में पूजा जाता है। इस दिन उनकी आराधना करते समय भक्तों को उनकी शक्ति और स्नेह का आनंद मिलता है।
भद्रकाली
- दूसरे दिन, देवी को भद्रकाली के रूप में पूजा जाता है। इस दिन देवी के रूप में उनकी अत्यंत शक्तिशाली स्वरूप की प्राप्ति होती है।
वैष्णवी
- तीसरे दिन, देवी को वैष्णवी के रूप में पूजा जाता है। उनके इस रूप की प्राप्ति से भक्तों को सामर्थ्य और सुंदरता की वर्षा होती है।
वाराही
- चौथे दिन, देवी को वाराही के रूप में पूजा जाता है। इस दिन देवी की शक्ति का आनंद लिए जा सकता है।
शान्तिधात्री
- पांचवे दिन, देवी को शान्तिधात्री के रूप में पूजा जाता है। इस दिन भक्तों को देवी की शांति और सुख की प्राप्ति होती है।
चंद्रघंटा
- छठे दिन, देवी को चंद्रघंटा के रूप में पूजा जाता है। यह देवी का रूप उनकी खुशी, उत्साह और साहस की प्रतीक है।
कूष्मांडा
- सातवे दिन, देवी को कूष्मांडा के रूप में पूजा जाता है। इस दिन भक्तों को स्वास्थ्य, धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
स्कंदमाता
- आठवें दिन, देवी को स्कंदमाता के रूप में पूजा जाता है। यह रूप माता की मातृत्व और देखभाल का प्रतीक है।
कात्यायनी
- नौवें दिन, देवी को कात्यायनी के रूप में पूजा जाता है। इस दिन देवी की कृपा और आशीर्वाद से भक्तों की इच्छाएं पूर्ण होती हैं।
नवरात्रि में धार्मिक अप्परेशन और आपूर्ति
नवरात्रि के दौरान साधु-संत, ऋषि-मुनि और अन्य धार्मिक आचार्य अपनी सिद्धियों को प्राप्त करते हैं। इस माहत्वपूर्ण त्योहार के दौरान क्षेत्रीय नवरात्रा की परम्परा भी चलती है।
संक्षेप में
नवरात्रि हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है जिसकी प्रारंभिक कथा भगवती के व्रत के रूप में वाल्मीकि रामायण में मिलती है। इस त्योहार के दौरान मां दुर्गा की नौ अलग-अलग रूपों की पूजा का विधान है। नवरात्रि के दौरान संत, सिद्ध और ऋषि अपनी सिद्धियों को प्राप्त करते हैं। यह त्योहार हमारे धार्मिक और सामाजिक जीवन में विशेष महत्व रखता है।